Saturday, August 15, 2015

आज़ाद


कुछ टूटे फूटे सपने लेकर  
उड़ान भर तो ली है हमने  
 
मंज़िल कब, और कहाँ मिलेगी 
इसकी खबर नहीं है हमको  
 
मंज़िल मिले, या ना मिले  
इसकी फ़िक्र भी नहीं है हमको  
 
आज़ाद है हम, परिंदो की तरह  
पिंज़रो में हमें अब क़ैद ना रख पाओगे |