उड़ने की चाहत है सबको...
पँखो का सहारा मिला नही...
पँखो को अब कुछ और नही...
सपनो की ज़रूरत होती है...
कुछ पाने के सपने देखो...
सपनो से पंख मिल जाएँगे...
इन पँखो को हवा लगने दो...
खुले आसमान मे उड़ चलो...
एक डाल से दूसरी डाल पर...
पेड़ो की छाँव मे खेलो...
रंग बिरंगी तितलियो के संग...
सतरंगी इंद्रधनुष का तीर बनो..
सूरज की आँखों मे घुरो..
चंदा की शीत मे आराम करो..
तेज़ हवा के झोंको के...
तुम अब साथी बन जाओ...
घने बादलो की औट लो...
कभी धूप मे तुम घुमा करो...
इस चाहत को ना अब क़ैद करो ..
सपने देखो... उड़ान भरो... खुले आसमान (गगन) मे राज़ करो |