Monday, September 15, 2014

हिन्दी..

हिन्दी..
सिर्फ़ एक भाषा नहीं...
हिन्दी एक धड़कन है...
हिन्दी मेरा सम्मान है...
हिन्दी मेरा स्वाभिमान है...
हिन्दी एक जज़्बात है...
हिन्दी एक ज़रिया है...
हिन्दी एक कारण है...

... मेरे लिए जीने का |

Tuesday, September 2, 2014

हाइवे

...ना ख़ामोश सहर है ना खामोश शाम
शोर ही शोर मचा है बस चारो पहर ...

...मौन चीखता है तबसे कानों में हर दम
जब से बनवाया है हाइवे पे अपना घर...

Sunday, May 4, 2014

इंद्रधनुष

ये ढलता हुआ सूरज..
बादलों के झुंड में
मानों आँहे भर रहा है  ..

ये आँहे भरता सूरज
ढल नही...
मानो लुढ़क रहा..

ये लुढ़कता हुआ सूरज...
मानो सुहानी शाम को
मदमस्त रात में ले जा रहा है..

ये मदमस्त रात..
हमें लेकर चल रही है
सपनों की दुनिया में..

ये सपनों की दुनिया से..
जब अंगडा़ईयाँ टूटेगी ..
सुबह की गोद में ..

तो उम्मीद करते है

ये मेघ भी फिर से होंगे ...
मेघों से बरखा भी होगी ...
लुढ़कता सूरज फिर उठेगा..
और शायद मन मोहक ..
सतरंगी इंद्रधनुष भी होगा ...

Sunday, January 26, 2014

गणतंत्र

गण के लिए ये तंत्र
गण से बने ये तंत्र
गण से चले ये तंत्र

तंत्र से बड़ा रहे ये गण
अमर रहे ये गणतंत्र |

Friday, January 24, 2014

हक़ीकत

कब आए और कब चल दिए
ख्वाब थे या हवा के झोंके..

इन्हें हम हक़ीकत में बदलते
उससे पहले हक़ीकत हमें दिखा गये ...