Saturday, August 15, 2015

आज़ाद


कुछ टूटे फूटे सपने लेकर  
उड़ान भर तो ली है हमने  
 
मंज़िल कब, और कहाँ मिलेगी 
इसकी खबर नहीं है हमको  
 
मंज़िल मिले, या ना मिले  
इसकी फ़िक्र भी नहीं है हमको  
 
आज़ाद है हम, परिंदो की तरह  
पिंज़रो में हमें अब क़ैद ना रख पाओगे | 

Monday, January 26, 2015

गणतंत्र स्वतन्त्र

अन्न है, पर भूख मिटाने को रोटी नहीं |
घर है, पर सर ढकने को छत नहीं |
पानी है, पर बुझती उससे प्यास नहीं |
पीपल है, पर मिलती उसकी छाँव नहीं |
तन है,  पर ढकने को वस्त्र नही |

गणतंत्र है,  पर शायद स्वतन्त्र नहीं |

Sunday, January 25, 2015

ओबामा

मैं आऊँगा कभी
यूँ ही लाल किले पे
एक गणतंत्र दिवस पे
जवानों की कदमताल देखने
थल, जल, और वायु सेना का
शक्ति प्रदर्शन देखने
हर राज्य की झाँकी देखने
उनकी संस्कृति देखने |

मैं आऊंगा यूँही कभी
लाल किले पे
तिरंगे को लहरता देखने
राष्ट्रगान सुनने
देश का गुणगान सुनने
जय हिंद का गूँज सुनने |

हाँ मैं ज़रूर आऊंगा
लाल किले पे, यूँ ही कभी
बिना किसी के बुलावे पे
ना कोई ताम-झाम किए
ना कोई ड्रामा किए
ना कोई डिजाइनर जामा पहने
और ना किसी ओबामा को संग लिए |