कुछ टूटे फूटे सपने लेकर
उड़ान भर तो ली है हमने
मंज़िल कब, और कहाँ मिलेगी
इसकी खबर नहीं है हमको
मंज़िल मिले, या ना मिले
इसकी फ़िक्र भी नहीं है हमको
आज़ाद है हम, परिंदो की तरह
पिंज़रो में हमें अब क़ैद ना रख पाओगे |
कला प्रेमी है, कला की कद्र करनी सीखी, कुछ साथी थे जिन्होने हमे भी कलाकार का दर्जा दिलवा दिया था, उस दर्जे को संभालने की एक छोटी कोशिश ...