Monday, September 2, 2013

ज़िंदा-मुर्दा


खेल खेल में

तुम मुर्दा हो
और मैं ज़िंदा हूँ

तुम जब ज़िंदा थे
तो मैं भी जी लेता था

तुम मुर्दा हो
और मैं घुटता हूँ

तुम जब ज़िंदा थे
तो मैं भी साँसे लेता था

तुम मुर्दा हो
और मैं ज़िंदा हूँ

खेल खेल में
ज़िंदगी अखाड़ा है
ज़िंदा-मुर्दा खेल है |


Monday, August 19, 2013

इश्क़


तेरी आँखों मे ही चढ़ते देखा था
जिसे हम इश्क़ समझ बैठे थे

मैखाने में आज हम वही चढ़ाते है |

Sunday, August 11, 2013

ज़िंदगी


आँख मूंद, दो कदम चलके देखो
आत्मविश्‍वास क्या है जान जाओगे

सरसराती हवाओं मे आज़ाद होके घूमों
उड़ान क्या चीज़ है, जान जाओगे

धड़कनों को कभी सुनके देखो
संगीत क्या है, जान जाओगे

दो पल साँसें रोक के देखो  
ज़िंदगी क्या है, जान जाओगे |

Thursday, August 1, 2013

रांझणा


उस तस्वीर में वो उसे
कुछ यूँ निहार रहा था
मानों खुला आसमान हो
और बस चाँद पे नज़र हो


एक पल था वो, या एक घड़ी
नैन खुले थे, और नैन मिले थे
होठ सिले थे, पर बोल निकले थे
बस ये एक किस्सा ही था ....

....या हर रांझणा की कहानी |

Thursday, February 28, 2013

ज़िंदगी


कभी अंधेरें मे
राहें खोज़ के देखो,
खुद-ब-खुद
जान जाओगे ...
... ज़िंदगी क्या है ?

Tuesday, February 26, 2013

मुस्कान


रोज़ मिलती है नज़रें
और देख मुस्काती भी है
आपस में एक खामोशी है
जो अभी टूटी नही है

शुक्र है इसी बात का
वरना शायद ...

ना ये नज़रें मिलेंगी
और ना ये मुस्कान |

Sunday, February 24, 2013

One Sided Love


इश्क  नशा है

जो कोई तो सामने वाले की आँखों मे चढ़ते देखता है |  [Couple]

और कोई सामने वाले की ही आँखों मे मरते देखता है | [One Sided Love]

Saturday, February 23, 2013

औपचारिकता


रोज़ रोज़ की इस भगदड़ में 
अब जीने का ही वक्त नही है

फिर भी दो पल चुराते है, 
सोचते है 
क्या क्या बदला ?
क्या बदल रहा है ?
और क्या बदलेगा ?

क्या, कुछ था आपस हमारा वास्ता 
जो बस बनके रह गया है औपचारिकता ?

Thursday, February 21, 2013

भारत बंद


गौरतलब है कि
हम आज़ाद है
लेकिन
घर से बाहर कदम
संभाल कर रखना

कहीं मचा होगा दंगा-फ़साद
कहीं लूट-मार,
तो कहीं चौरी-चकारी

कही घूम रहे होंगे हत्यारे,
तो कही बलात्कारी |


और तो और,
जब महंगाई
कमर तोड़ रही होगी
तो कुछ गाड़ियाँ,
ट्रक, बस, गोदाम
फूँके जा रहे होंगे

कही सुना था
आज भारत बंद है |

सचमुच,
भारत बंद है
फिर भी बुलंद है |

Wednesday, February 20, 2013

प्यास


वे अंदर वाद विवाद करते रहे
गिलास आधा भरा है, या आधा खाली
और बैठक के बाहर, वो मासूम तडपा
दो बूँद पानी की प्यास से |

Sunday, February 17, 2013

कहानी


शमां जली, तो परवाने भी होंगे
तेरे हुस्न के, लाखों दीवाने भी होंगे

नज़रें मिली, तो बातें भी होंगी
बातें हुई, तो कहानी भी होगी

कहानी है, तो शुरू भी होगी
शुरू हुई, तो आगे भी बढ़ेगी

बढ़ती है, तो बढ़ने देना
थमती है, ना थमने देना |

Saturday, February 9, 2013

चेहरा


तेरे ख़यालों का ही है ये कोहरा
डाला है जिसने दस्तक पे मेरी डेरा

जगते है सारी रात यादों में तेरी
देखे फिर चाँद या कहें उसे तेरा ही चेहरा

Tuesday, February 5, 2013

ख्वाब


सारी-सारी रात जागे थे, और देखा था खुली आँखो से एक ख्वाब
उगता सूरज देखेंगे, ओढ़ा था कल शाम जिसने पहाड़ो का नकाब

सवेरा हुआ ही था, कि आँख लग गयी, फिर टूटा था एक ख्वाब |

Saturday, January 12, 2013

गुड़िया


इंसान की कल्पना,
और हो गयी रचना
एक सरहद की,
और बँट गयी,
ना सिर्फ़ ये दुनिया
जबकि बँट गया इंसान |

हिंद, पाक, देश-प्रेम, देश-द्रोह,
युध, शांति, आतंक, अमन
पनपी ऐसी कई कल्पनाएं |

और इन कल्पनाओं मे
ना सिर्फ़ कत्ल हुआ
सरहद पे बैठे जवानों का,
इस पार भी, उस पार भी
बल्कि कत्ल हुआ
उन अरमानों का भी
जो घर बैठे
आज भी इंतज़ार करते है
कि पापा छुट्टी पे आएँगे
और इस बार गुड़िया ज़रूर लाएँगे |