Thursday, September 20, 2012

प्यार

खर्च करने के लिए अल्फ़ाज़
ना उनके पास, ना मेरे पास

नज़रों से कुछ गीत लिखे
खामोशियों से संगीत दिया

सरसराती हवाओं से उन्हे
उनके कानों तक पहुँचाया

मन्न मे छुपे हुए ख़यालों को
उनके दिल के पते पे भेजा

ग़रीबी का ऐसा मंज़र छाया
फिर भी हमने प्यार किया |


Tuesday, September 18, 2012

फ़ासले

सफ़र तो साथ ही शुरू किया था
पर मंज़िल का पता जो ना था 

तुम जो हमे 'आप' कहके पुकारते
नयी दोस्ती में फासलो की हिदायत देते

ख्वाब तो हमने साथ ही देखे थे 
हक़ीकत के मायने जो ना थे 

ख्वाब तो दे दिए, पर नींदे चुरा गये 
सफ़र मे अब कुछ फ़ासले आ गये |

Saturday, September 15, 2012

याद


जैसे हर सफ़र कटा है,
अगला सफ़र भी कट जाएगा

जैसे हर पल बीता है,
आने वाला पल भी बीत जाएगा

जैसे हर दोस्त बिछड़ा है,
कोई नया बनेगा, और बिछड़ जाएगा

जैसे हर किसी का साथ छूटा है
कोई और आएगा, और साथ छूट जाएगा

जैसे तुम चले गये हो, बस यादें छोड़ गये हो
एक दिन मैं भी चला जाऊँगा, शायद तुम्हे याद आऊंगा |


Thursday, September 13, 2012

फिर मिलेंगे


वो जो सीधा रास्ता था चलता
जो बाईं और था करवट लेता

उसी मोड़ पे था एक चबूतरा
जहाँ हमेशा मैं तुमसे मिलता

जहाँ कभी उन पेड़ो के नीचे
लम्हो के कुछ बीज थे बोए

ख्वाब देखे थे इनको हम सींचे
अब है हमने ये सपने खोए

जहाँ कभी बातों की बिगुल से
कुछ थे हमने संगीत संजोए

देखो तो अब लगे मुरझे से
हमने अब वो लम्हे खो दिए

सोचा था फिर लौट आएँगे
तुमसे हम फिर वही मिलेंगे 

पर वहाँ कभी लौट के ना जाना
हमसे कभी फिर तुम ना मिलना

Wednesday, September 12, 2012

बातें

बातें है, चलती रहती है
ख़तम ही नहीं होती है

यहाँ वहाँ से, इधर उधर से
आती जाने कहाँ किधर से

मेरी तेरी इसकी उसकी
मीठी कड़वी जाने किसकी

कभी रूलाती कभी हँसाती
नित नये ख्वाब दिखाती

बिना सिर और बिना पाँव के
नये नये रंग रूप बनाती

बातें है, चलती रहती है
चलती रही और एकाएक

रुक गयी ये बातें |
कहाँ गयी वो बातें |


Tuesday, September 11, 2012

कल्पना

ठंड के लहर सी तुम्हारी यादें
फटे स्वेटर सा हमारा प्रेम

आलसी भोर में वो सिहरना
बाहों मे तेरी वो जलता अलाव

सूरज सी तपन बाँटे ये बदन
छुए जो तुझे बस मेरा ये मन्न

ले चल कही अब दूर मुझे
कल्पना की दुनियाँ से परे |

Thursday, September 6, 2012

याद


मुझे तेरी याद आती है
ऐसे ही जब तन्हा होता हूँ

तेरा गुस्सा याद आता है
सवेरे जब कड़क चाय पीता हूँ

तेरी आँखे याद आती है
जब सूरज उगते हुए देखता हूँ

तेरी महक याद आती है
जब बाग मे सैर करने जाता हूँ

तेरी जुल्फे याद आती है
जब पेड़ की छाँव मे आराम करता हूँ

तेरी आवाज़ सुनाई देती है
जब पेड़ पे कोयल कूहु कूहु करती है

तेरा स्पर्श सा लगता है
जब मखमल के गलीचे पे बैठता हूँ

तेरी चाल याद आती है
जब बिल्ली रास्ता काटती है

तेरा चेहरा सामने आता है
जब चाँद निकल के आता है

मुझे तेरी याद आती है
ऐसे ही जब कुछ पंक्तियाँ बुनता हूँ

मुझे तेरी याद आती है
ऐसे ही जब तन्हा होता हूँ |

Wednesday, September 5, 2012

बहाना

ख्वाबों से है रिश्ता बहुत पुराना
जैसे उसकी एक नज़र है चुराना

ऐसी आदत है हमको पड़ी
दिखे हर वक्त वो सामने खड़ी

आँखे है, खुली हो या बंद
लगे की अब वो है रज़ामंद

ये तो बस ख्वाब ही है देखती
नींद का तो बस बहाना है करती |