Friday, January 26, 2018

गणतंत्र दिवस

चलो ना, आज दिल्ली चलते है
वहाँ जाके, लाल किले पे गणतंत्र दिवस मनाते है

वहाँ आज तिरंगा लहरेगा
वहाँ आज राष्ट्र गान सुनने को मिलेगा
वहाँ आज वतन का गुणगान होगा
वहाँ आज सेना का शक्ति प्रदर्शन होगा

वहाँ आज जवानों की कदम ताल देखने को मिलेगी
वहाँ आज सब राज्यों की झाँकी देखने को मिलेगी
वहाँ आज उन राज्यों की संस्कृति सीखने को मिलेगी |

चलो ना, आज दिल्ली चलते है
वहाँ जाके, लाल किले पे गणतंत्र दिवस मनाते है

वहाँ शायद कोई हिंदू-मुसलमान ना होगा
वहाँ शायद कोई दलित-ब्राह्मण ना होगा
वहाँ शायद कोई राइट-लेफ्ट विंग ना होगा
वहाँ शायद कोई पूंजी-समाज वादी ना होगा
वहाँ शायद कोई भ्रष्ट ना होगा
वहाँ शायद कोई नक्सली ना होगा
वहाँ शायद कोई एंटी-नेशनल ना होगा
वहाँ शायद कोई पाकिस्तान जाने को भी ना कहेगा
वहाँ शायद किसी का खून ना होगा  
वहाँ शायद सबको न्याय मिलेगा
वहाँ शायद कोई जिहाद ना होगा
वहाँ शायद सिर्फ़ लव होगा |
चलो ना, आज दिल्ली चलते है
वहाँ जाके, लाल किले पे गणतंत्र दिवस मनाते है
वहाँ शायद कोई अलगाव ना होगा
वहाँ शायद कोई पथराव ना होगा
वहाँ शायद कोई भेदभाव भी ना होगा
वहाँ शायद कोई खिलजी ना होगा 
वहाँ शायद कोई घूमर ना होगा
वहाँ शायद कोई जौहर भी ना होगा  
वहाँ शायद कोई नेता ना होगा
वहाँ शायद कोई अभिनेता ना होगा 
वहाँ शायद कोई वोट बेंक ना होगा
वहाँ शायद सिर्फ़ आम जनता का जमावड़ा होगा

वहाँ शायद समारोह के बाद में लड्डू मिलेगा
वहाँ शायद साथ मे पकोड़ा भी मिलेगा
वहाँ उसी बहाने लाल किले के बाहर
पकोडे वाले को रोज़गार भी मिलेगा |
चलो ना, चलते है
आज ये दिल्ली, लाल किले, या इस ताम झाम से
कहीं दूर चलते है

चलो ना चलते है,
आज अपने सपनो के भारत मे कहीं भी चलते है
आज कुछ वतन की बात करते है
वहाँ जाके गणतंत्र दिवस मनाते है
वहाँ शायद सिर्फ़ 'तुम' रहोगे  
वहाँ शायद सिर्फ़ 'मैं' रहूँगा

ना...  

वहाँ ना 'तुम', तुम बनकर रहोगे,
वहाँ ना 'मैं', मैं बनकर रहूँगा
वहाँ 'तुम' और 'मैं', 'हम' बनकर रहेंगे
वहाँ तुम और मैं 'हम भारत के लोग' बनकर रहेंगे |