Thursday, July 16, 2020

नदी

तुम उस नदी जैसी हो 
जो एकदम शीतल
कलकलाहट करती हुई 
बहती रहती है

कहां से आ रही है,
उन पहाड़ों के पीछे से 
और कहां, कौनसे
समंदर में समा जाएगी
ये नहीं पता मुझे

पर उसी के किनारे बैठ कर 
पूरी बस्ती बसी है मेरी
और जब-जब ये नदी
बहना बंद कर देती हो, 
तो वो बस्ती उजड़ जाती है ।

Monday, July 6, 2020

आत्मनिर्भर है बनाया

अच्छा चलता हूँ
चुनावों में याद रखना
मेरे भाषणों को WhatsApp पे Forward करना


दिल के संदूकों में
अच्छे दिन की आस रखना
नोट बंदी मे भी
सेना को सलाम करना

काला धन तेरा, मैने ले लिया
Electoral bonds से उसको मैने सफेद किया

आत्मनिर्भर है बनाया
आत्मनिर्भर है बनाया
आत्मनिर्भर है बनाया
India   - X2

Mmm
रैलयो में मेरी
तुम ना रहे तो
भीड़ ही नही है 
भीड़ ही नही है
किस्से तुम्हारी बर्बादियों के
कम तो नहीं है
कम तो नहीं है


कितनी दफ़ा, जनता को मेरी
मन्न की बातों से मैने
देखो भ्रमित किया

आत्मनिर्भर है बनाया
आत्मनिर्भर है बनाया
आत्मनिर्भर है बनाया
ओ India   - X2

Press Conference से अपना रास्ता
मोड़ के चला
फकीर हूँ मैं
अपना झोला उठा के चला

मन्न की बातें रख के
तेरे तकिये तले
बैरागी, बैरागी का सूती झोला
उठा के चला


आत्मनिर्भर है बनाया
आत्मनिर्भर है बनाया
आत्मनिर्भर है बनाया
ओ India   - X2