Thursday, August 1, 2013

रांझणा


उस तस्वीर में वो उसे
कुछ यूँ निहार रहा था
मानों खुला आसमान हो
और बस चाँद पे नज़र हो


एक पल था वो, या एक घड़ी
नैन खुले थे, और नैन मिले थे
होठ सिले थे, पर बोल निकले थे
बस ये एक किस्सा ही था ....

....या हर रांझणा की कहानी |

No comments:

Post a Comment