कभी लगता है जैसे कि
बहुत कुछ पा लिया है
और अगले पल जैसे कुछ नहीं,
अभी बहुत कुछ पाना बाकी है |
कभी लगता है जैसे कि
ख्वाब देखे है बहुत और कुछ उनमें पूरे हुए है
पर अभी भी बहुत देखने
और बहुत पूरे होने बाकी है |
कभी लगता है की जज़्बात जो
स्याही के साथ घुलकर पन्नो पे उतरते थे
अब ख़तम हो गये है, पर अगले पल लगता है जैसे
अभी उन्हें कीबोर्ड की ठक-ठक से ब्लॉग पे उतरना बाकी है |
काफ़ी समय से कुछ लिखा नहीं
तो मानों ऐसा लगता है
जैसे लिखना छोड़ दिया है
पर ऐसा नहीं है, अभी बहुत कुछ लिखना बाकी है |
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