Friday, July 8, 2016

लिखना बाकी है


कभी लगता है जैसे कि  
बहुत कुछ पा लिया है
और अगले पल जैसे कुछ नहीं,  
अभी बहुत कुछ पाना बाकी है |  
 
कभी लगता है जैसे कि  
ख्वाब देखे है बहुत और कुछ उनमें पूरे हुए है  
पर अभी भी बहुत देखने 
और बहुत पूरे होने बाकी है |  
 
कभी लगता है की जज़्बात जो  
स्याही के साथ घुलकर पन्नो पे उतरते थे  
अब ख़तम हो गये है, पर अगले पल लगता है जैसे  
अभी उन्हें कीबोर्ड की ठक-ठक से ब्लॉग पे उतरना बाकी है |  
 
काफ़ी समय से कुछ लिखा नहीं 
तो मानों ऐसा लगता है  
जैसे लिखना छोड़ दिया है  
पर ऐसा नहीं है, अभी बहुत कुछ लिखना बाकी है | 

No comments:

Post a Comment