कला प्रेमी है, कला की कद्र करनी सीखी, कुछ साथी थे जिन्होने हमे भी कलाकार का दर्जा दिलवा दिया था, उस दर्जे को संभालने की एक छोटी कोशिश ...
Saturday, February 23, 2013
औपचारिकता
रोज़ रोज़ की इस भगदड़ में अब जीने का ही वक्त नही है फिर भी दो पल चुराते है, सोचते है क्या क्या बदला ? क्या बदल रहा है ? और क्या बदलेगा ? क्या, कुछ था आपस हमारा वास्ता जो बस बनके रह गया है औपचारिकता ?
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