Tuesday, August 21, 2012

2G


समय कितना तेज़ी से बदल रहा है ||

एक समय था,
जब स्कूल जाया करते थे सिर्फ़ उसे देखने
गर दिख जाएगी वो तो दिन अच्छा बीतेगा
बात तो उन दिनों होती ही नही थी ..

बस नज़रे मिलती थी, और प्यार हो जाता था
मानो प्यार तो नेत्रशोथ ( conjunctivitis ) है |


धीरे धीरे इंटरनेट का ज़माना आ रहा था
उसके नाम के सामने की हरी बत्ती जलती
और दिल की धड़कन चलने लग जाती
कभी पीली या लाल होती, तो लगता
मानो ज़िंदगी मे विराम लग गया है |

लिखकर बात करना कितना आसान होता है
ये तब जाके समझ आया
जो बात ज़ुबान तक नही आ पाती
कीबोर्ड के सहारे झट से टाइप कर देते थे

जब तक पूरे दिन मे बात नही होती
एक उकसाहट सी बनी रहती थी
बस ऑनलाइन होना है और बात करना है

बात हो जाने के बाद, ख़यालो मे डूब जाना ...
आह ..सोचकर लगता है, कितना हसीन होता था

मोबाइल उतना प्रचलित नही था
कॉल, मेसेज रेट्स थोड़ा महँगा था

और आज देखो, सब इतना सस्ता हो गया है
की हर पल फ़ोन पे जवाब देना पड़ता है,
कहाँ हो जानू, कब आओगे, कॉल बेक क्यूँ नही किया
वग़ैरह, वग़ैरह, वग़ैरह....
तंग आ गया हूँ |
प्रेमी हूँ, या कैदी ?

काश ये 2 जी स्केम ना हुआ होता ||

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